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Oh Lord, the grasp of universe. You tend to be the eternal. You will be the lord of all the animals and many of the realms, you happen to be The bottom from the universe and worshipped by all, without you I'm not one person.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
The Devas then prayed to her to demolish Bhandasura and restore Dharma. She is believed to have fought the mom of all battles with Bhandasura – some scholars are of your watch that Bhandasura took several varieties and Devi appeared in several kinds to annihilate him. At last, she killed Bhandasura Along with the Kameshwarastra.
When Lord Shiva listened to about the demise of his spouse, he couldn’t Management his anger, and he beheaded Sati’s father. Nonetheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s lifestyle and bestowed him which has a goat’s head.
ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं
Thus all of the gods asked for Kamadeva, the god of affection to create Shiva and Parvati get married to one another.
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
The Devi Mahatmyam, a sacred textual content, particulars her valiant fights in a very number of mythological narratives. These battles are allegorical, representing the spiritual ascent from ignorance to enlightenment, With all the Goddess serving since the embodiment of supreme expertise and electric power.
॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी more info अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं